Tuesday, June 05, 2007

दिल से धड़कन ख़ून से अज़्म-ए-सफ़र ले जायेगा / अज़ीम अमरोहवी


दिल से धड़कन ख़ून से अज़्म-ए-सफ़र ले जायेगा
वक़्त इक दिन छीन कर सारे हुनर ले जायेगा

[अज़्म-ए-सफ़र =सफ़र करने कि शक्ति]

हाँ दुआ माँगी थी लेकिन ये तो सोचा भी न था
मौसम-ए-बरसात सब दीवार-ओ-दर ले जायेगा

आज इस तितली को इन फूलों पे उड़ने दीजिये
कल कोई झोंका हवा का इस के पर ले जायेगा

तू किसी अन्धे कुयेँ में जाये तो ये जान ले
साथ साथ अपने ये मेरी भी नज़र ले जायेगा

दूसरों के घर में पत्थर फेंकने वाले ये सोच
तू बचा कर किस तरह शीशे का घर ले जायेगा

शहर की सड़कों पे मेरे साथ मत निकलो अभी
जो भी देखेगा उड़ा कर ये ख़बर ले जायेगा

सर-बुलन्दी जिस का मनसब है वो झुक सकता नहीं
दस्त-ए-क़ातिल उस का ख़ुद नेज़े पे सर ले जायेगा

[सर-बुलन्दी = सर ऊँचा रखना]
[दस्त-ए-क़ातिल = क़ातिल का हाथ; नेज़ा = भाला]

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