Sunday, May 27, 2007

सौ ख़ुलूस बातों में सब करम ख़यालों में / बशीर बद्र


सौ ख़ुलूस बातों में सब करम ख़यालों में
बस ज़रा वफ़ा कम है तेरे शहर वालों में

[ख़ुलूस=मिठास]

पहली बार नज़रों ने चाँद बोलते देखा
हम जवाब क्या देते खो गये सवालों में

रात तेरी यादों ने दिल को इस तरह छेड़ा
जैसे को-ई चुटकी ले नर्म नर्म गालों में

मेरी आँख के तारे अब न देख पाओगे
रात के मुसाफ़िर थे खो गये उजालों में

1 Comments:

At 12:50 am , Blogger Yunus Khan said...

अच्‍छा है भाई ज़रा ये वाली ग़ज़ल भी लाईये
हम तो दरिया हैं हमें अपना हुनर मालूम है
जिस तरफ चल पड़ेंगे रास्‍ता हो जायेगा ।

 

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