Tuesday, May 29, 2007

इतना तू करम हम पे ऐ सय्याद करे है \ फ़रोश




इतना तू करम हम पे ऐ सय्याद करे है
पर नोच के अब क़ैद से आज़ाद करे है

[करम=एहसान; सय्याद=शिकारी; पर=पंख]

ऐ बाद-ए-सबा उन से ये कह दीजीयो जा कर
परदेस में एक शख़्स तुझे याद करे है

[बाद-ए-सबा=सुबह की हवा; शख़्स=व्यक्ति]

आवे है तेरी याद तो हँस देवे है अक्सर
दीवाना तेरा यूँ भी तुझे याद करे है

फ़रज़ाना उजाड़े है भरे शहरों को लेकिन
दीवाना तो सहरा को भी आबाद करे है

[फ़रज़ाना=अकलमन्द; सहरा=वीराना / रेगिस्तान]

लिख लिख के मिटा देवे है तू नाम ये किस का
सच कहियो "फ़रोश" आज किसे याद करे है

1 Comments:

At 12:10 am , Blogger Mohinder56 said...

भई मैं कहूं बहुत ही बढिया लिहा है ठेठ लहजे की उर्दू में.. हमे बहुत पसन्द आया

फ़रज़ाना उजाड़े है भरे शहरों को लेकिन
दीवाना तो सहरा को भी आबाद करे है

लिखते रहिये हम हैं न दाद देने के लिये

 

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