Thursday, May 24, 2007

आदतन तुम ने कर दिये वादे / गुलज़ार



आदतन तुम ने कर दिये वादे
आदतन हम ने ऐतबार किया

तेरी राहों में बारहा रुक कर
हम ने अपना ही इन्तज़ार किया

अब ना माँगेंगे ज़िन्दगी या रब
ये गुनाह हम ने एक बार किया

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