Wednesday, May 30, 2007

क्या ख़बर थी इस तरह से वो जुदा हो जायेगा \ रुस्तम सहगल वफ़ा


क्या ख़बर थी इस तरह से वो जुदा हो जायेगा
ख़्वाब में भी उस का मिलना ख़्वाब सा हो जायेगा


ज़िन्दगी थी क़ैद हमें क्या निकालोगे उस से
मौत जब आ जायेगी तो ख़ुद रिहा हो जायेगा


दोस्त बनकर उस को चाहा, ये कभी सोचा न था
दोस्ती ही दोस्ती में वो ख़ुदा हो जायेगा


उस का जल्वा होगा क्या जिसका के पर्दा नूर है
जो भी उस को देख लेगा वो फ़िदा हो जायेगा

0 Comments:

Post a Comment

Subscribe to Post Comments [Atom]

<< Home

Get this widget | Share | Track details