मेरी तस्वीर में रंग और किसी का तो नहीं / मुज़फ़्फ़र वारसी

मेरी तस्वीर में रंग और किसी का तो नहीं
घेर लें मुझको सब आ के मैं तमाशा तो नहीं
ज़िन्दगी तुझसे हर इक साँस पे समझौता करूँ
शौक़ जीने का है मुझको मगर इतना तो नहीं
रूह को दर्द मिला, दर्द को आँखें न मिली
तुझको महसूस किया है तुझे देखा तो नहीं
सोचते सोचते दिल डूबने लगता है मेरा
ज़हन की तह में 'मुज़फ़्फ़र' कोई दरिया तो नही.
घेर लें मुझको सब आ के मैं तमाशा तो नहीं
ज़िन्दगी तुझसे हर इक साँस पे समझौता करूँ
शौक़ जीने का है मुझको मगर इतना तो नहीं
रूह को दर्द मिला, दर्द को आँखें न मिली
तुझको महसूस किया है तुझे देखा तो नहीं
सोचते सोचते दिल डूबने लगता है मेरा
ज़हन की तह में 'मुज़फ़्फ़र' कोई दरिया तो नही.
2 Comments:
रूह को दर्द मिला, दर्द को आँखें न मिली
तुझको महसूस किया है तुझे देखा तो नहीं
वाह! क्या ख़ूब कहा है.
yah meri fav ghazal hai dost ise lata di ne album sajda ke liye gaya hai suna hi hoga aapne
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