दयार-ए-ग़ैर में कैसे तुझे सदा देते \ वसी शाह
दयार-ए-ग़ैर में कैसे तुझे सदा देते
तू मिल भी जाता तो तुझे गँवा देते
[दयार-ए-ग़ैर=अनजान जगह; गँवा देना=खो देन]
तू मिल भी जाता तो तुझे गँवा देते
[दयार-ए-ग़ैर=अनजान जगह; गँवा देना=खो देन]
तुम्हीं ने हम को सुनाया न अपना दुख वरना
दुआ वो करते के हम आसमान हिला देते
दुआ वो करते के हम आसमान हिला देते
हमें ये ज़ोम रहा अब के वो पुकारेंगे
उन्हें ये ज़िद थी के हर बार हम सदा देते
[ज़ोम=छलावा]
वो तेरा ग़म था के तासीर मेरे लहजे की
के जिस को हाल सुनाते उसे रुला देते
[तासीर=प्रभाव; लहजा=तरीका]
तुम्हें भुलाना ही अव्वल तो दस्तारस में नहीं
जो इख़्तियार भी होता तो क्या भुला देते
[अव्वल=सबसे पहले; दस्तारस=पहुँच; इख़्तियार=नियंत्रण]
तुम्हारी याद ने कोई जवाब ही न दिया
मेरे ख़याल के आँसू रहे सदा देते
सम'तों को मैं ता-उम्र कोसता शायद
वो कुछ न कहते मगर होंठ तो हिला देते
[सम'तों=सुनने कि शक्ती; ता-उम्र=ज़िन्दगी भर]
2 Comments:
"तुम्हीं ने हम को सुनाया न अपना दुख वरना
दुआ वो करते के हम आसमान हिला देते "
वाह क्या शेर मारा है। :)
hey gaurav,
good work....................
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