तड़पते हैं ना रोते हैं ना हम फरियाद करते हैं / हैदर अली आतिश
तड़पते हैं ना रोते हैं ना हम फरियाद करते हैं
सनम की याद में हरदम खुदा को याद करते हैं
उन्हीं के इश्क में हम नाला -ओ -फरियाद करते हैं
इलाही देखिए किस दिन हमें वो याद करते हैं
[नाला = ज़ोर से रोना ]
शब् -ए -फुरकत में क्या-क्या सांप लहराते हैं सीने पर
तुम्हारी काकुल -ए -पेचां को जब हम याद करते हैं
[शब् -ए -फुरकत = जुदाई कि रात ; काकुल -ए -पेचां = घुंघराले बाल ]
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