आंख से दूर ना हो दिल से उतर जाएगा / अहमद फ़राज़
आंख से दूर ना हो दिल से उतर जाएगा
वक़्त का क्या है गुज़रता है गुज़र जाएगा
इतना मानूस ना हो खिल्वत -ए -गम से अपनी
तू कभी खुद को भी देखेगा तो डर जाएगा
[मानूस =नजदीक ; खिल्वत -ए -गम =अकेलेपन का दुःख]
तुम सर -ए -राह -ए -वफ़ा देखते रह जाओगे
और वो बाम -ए -राफाकत से उतर जाएगा
[सर -ए- राह- ए -वफ़ा =प्यार की राह ; बाम -ए -राफाकत =प्यार के लिए ज़िम्मेदारी ]
ज़िंदगी तेरी अता है तो ये जानेवाला
तेरी बख्शीश तेरी दहलीज़ पे धर जाएगा
[अता =उपहार ; बख्शीश = टिप ; दहलीज़ = चौखट /doorstep]
डूबते -डूबते कश्ती तो ओछाला दे दूँ
मैं नहीं कोई तो साहिल पे उतर जाएगा
[ओछाला = ऊपर कि तरफ धक्का ]
ज़ब्त लाजिम है मगर दुःख है क़यामत का 'फ़राज़'
ज़ालिम अब के भी ना रोयेगा तो मर जाएगा
0 Comments:
Post a Comment
Subscribe to Post Comments [Atom]
<< Home