Thursday, May 10, 2007

झुकी झुकी सी नज़र बेक़रार है कि नहीं / कैफ़ी आज़मी

झुकी झुकी सी नज़र बेक़रार है कि नहीं
दबा दबा सा सही दिल में प्यार है कि नहीं

तू अपने दिल की जवाँ धड़कनों को गिन के बता
मेरी तरह तेरा दिल बेक़रार है कि नहीं

वो पल के जिस में मुहब्बत जवान होती है
उस एक पल का तुझे इंतज़ार है कि नहीं

तेरी उम्मीद पे ठुकरा रहा हूँ दुनिया को
तुझे भी अपने पे ये ऐतबार है कि नहीं

1 Comments:

At 12:20 am , Blogger Vikash said...

यह ग़ज़ल जगजीत सिंह की आवाज मे सुनता हूँ। मेरी पसंदीदा गजलों मे से एक है।

 

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